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जिंदगी

TRUTH
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आज के युग मे जिंदगी की परिभाषा बदल चुकी है।
कब, क्यों, कैसे ??
जिंदगी को कोई समझना नहीं चाहता सब भीड़ मे चल रहे है।
विचार इतने बदल चुके है की उन विचारों का कोई मोल नहीं है
आज इंसान अपने दुःख से इतना दुखी नहीं है
जितना की वह दूसरे की ख़ुशी देख कर दुखी हो रहा है।
निर्बलता, डर मन मे ऐसे बस चुके है की इंसान को खुद पर विशवास नहीं हो पाता।
धैर्य रखने की शक्ति इंसान ने खो दी है
धैर्य क्या होता है यह भूल चूका है
जिंदगी बहुत ही सरल है पर हम ही इसीको मुश्किलों मे डालते है
अपने लिए कठिन रास्ते खुद ही बनाते है
कहते है ना अपने पेरो पर खुद कुल्हाड़ी मारना
तो वही हम कर रहे है।
मनुष्य अविष्कार करता है वह आविष्कार जिंदगी मे उजाला भी लाता है और अँधेरा भी
अगर मनुष्य उस अविष्कार का आदि हो जाए तो उसका विनाश वही अविष्कार करता है।
एक समय था जब इंसान अपने सामने गलत होता देख उसको रोकता था
पर आज वो समय है की इंसान के सामने कुछ गलत हो रहा हो तो वह अपना मुंह मोड़ लेते है,
अपना रास्ता बदल देते है।
आज इंसान के पास कुछ ना होते हुवे भी घमंड चूर चूर के भरा है।
आज के समय किसीको सही सलाह दो तो वह गलत ही सोचता है।
आज युवा सब पढ़े-लिखे है पर उनको सही गलत का बोध नहीं है
सही गलत की पहचान नहीं कर पा रहे है
सिर्फ आकर्षण की तरफ दौड़ रहे है
उन्हें वह आकर्षण तो दिख रहा है पर उस आकर्षण के अंधकार को नजर-अंदाज कर दे रहे है।
अमीरी-गरीबी का भेद-भाव तो पहले से चलता आ रहा है और आज भी चल रहा है।
क्यों हम भूल जाते है जिंदगी तो एक ही है
दूध से बानी चाय, गेहू से बनी रोटी, चावल से बने चावल ही गरीब-अमीर
ने खाने है।
आमिर व्यक्ति सोना-चांदी तो खा नहीं सकता तो क्यों है यह भेद-भाव।
कहते है हमको समय के साथ बदलना
चाहिए
सभी समय के साथ बदलते है
और आज समय इतना बदल जायेगा कभी
सोचा नहीं था।
गुरु का जीवन मे श्रेष्ठ महत्व होता है।
गरु
ही है जो विधार्ति को उसके लक्ष्य तक
पहुंचाता है
उसको जीवन मे सफलता प्राप्त करने हेतु
मार्ग-दर्शन कराता है।
हमारे ग्रंथो मे गरु को ईशवर का रूप माना जाता है,
प्राचीन समय मे
गुरु की पूजा तक की जाती थी।
लेकिन आज समय मे काफी परिवर्तन आ गया है।
आधुनिकता के दौर मे गुरु की प्राचीन महिमा कम होती जा रही है।
बच्चो की मन:स्थिति इस प्रकार हो गयी है की वह शिक्षा को धन के तराज़ू
मे तोलने लगे है और शिक्षक को अपने मजाक के रूप मे देखने लगे है।
अगर हम शिक्षा और शिक्षक का आदर नहीं करते तो मतलब हम पढ़े-लिखे नहीं है
डिग्र्री चाहे हम कितनी भी हासिल करले लेकिन अज्ञानता हमारे भीतर ही रहेगी।
बचपन से जवानी आई जवानी से बुढ़ापा आया
पर हमने कभी नहीं सोचा की हमने इस जिंदगी मे किया क्या ??
बस हमेशा अपने लिए सोचा जैसा चाहा वैसा करा जो मन मे आया वो करा
पर समझा कभी कुछ नहीं हमेशा अपने लिए ही सोचते रहे।
पर आपको यह पता है जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण प्रशन क्या है
जिंदगी हमेशा यह पूछती है की तुमने दूसरों के लिए क्या किया ?
जिंदगी को समझो जिंदगी बहुत प्यारी है
यह सिर्फ एक बार मिली है इसके बाद दुबारा नहीं मिलेगी।
भीड़ में चलने के बजाये अपने आपको पहचानो की तुम क्या कर सकते हो
दूसरों की तुलना अपने से मत करो क्युकी हम नहीं जानते दूसरे की जिंदगी कैसे बनी है।
जिंदगी हमे बहुत कुछ सिखाती है पर हम कुछ सीखना नहीं चाहते
यह जिंदगी हमे सिखने के लिए ही मिली है
निर्बलता और डर अपने मन से निकाल फेको क्युकी निर्बलता और डर की जगह हमारे जीवन मे नहीं है।
ख़ुशी और गम दोनों सिर्फ कुछ ही समय के लिए हमारे जीवन मे आते है
हमे सिर्फ ख़ुशी-ख़ुशी को महसूस नहीं करना चाहिए बल्कि गम के समय उस दुःख को भी महसूस करना चाहिए।
तभी तो हम दूसरे का दुःख समझ सकते है।
महापुरुष वही है जो कम से कम मे संतुष्ट हो जाये।
पर आज के युग मे बहुत कम ही ऐसे है जो कम से कम मे संतुष्ट होंगे।
संतुष्टि और धैर्य किसको कहते है यह तो भूल ही चुके है।
बचपन से सपना है मेरा लेखक बनने का लेख लिखता रहता हु
सबसे पहले जिंदगी का विचार आया मेने बहुत सोचा इसके बारे मे ज्ञान की बाते सुनी दर्द महसूस किया
खुसी जानी क्या होती है।
जब मे इन सब पर अध्यन कर रहा था
तो जो ज्ञान मे बटोर पाता वह ज्ञान अपने परिवार और मित्रो को बताता
मुझसे कहने लगते तू इन बातो के लिए बहुत छोटा है
सब मुझ पर हस्ते की यह क्या कह रहा है
महात्मा वाली बाते कहा से सिख गया
सब मुझे कहने लगे इन सबके बारे मे मत सोच लोग मुर्ख कहेंगे।
हद तो तब हो गयी जब मुझसे कहा गया की उम्र से पहले ज्ञान अच्छा नहीं होता।
एसी सोच अगर इंसान की रहेगी तो कैसे वह जिंदगी को समझेगा ज्ञान के लिए कोई उम्र नहीं होती ज्ञान किसी भी उम्र मे लिया जा सकता है।
वृद्ध अवस्था मे ज्ञान पा कर क्या करना जब जिंदगी हमने बिना ज्ञान के जी ली।
जिंदगी को अन्धकार मे मत डालो जिंदगी एक बहुत प्यारा तोहफा है
इसे समझो और दूसरों को समझाओ
ये पल ये वक़्त ये जिंदगी दुबारा कभी नहीं आएगी।
सारी शक्तियाँ हमारे ही भीतर है उस शक्ति को पहचानो।
गलती सबसे होती है गलती से ही हमे सिख मिलती है
कही पर गलत होता है तो उसे रोको नाकि वहा से अपना रास्ता ही बदल दो
सिर्फ इस वजह से की कोई नहीं बोल रहा है तो हम क्यों बोले
हर इंसान यहाँ अकेला आया है और अकेला ही जायेगा
सब सपने हम अकेले ही पूरा करते है तो फिर कही पर बुरा होते देख उसे रोकने के लिए साथ क्यों ढूंढते है।
जब एक आवाज बुराई के लिए उठेगी तब चुप-चाप खड़े देख सारे व्यक्ति शर्मनाक हो कर आवाज उठाएंगे।
बहादुर बनो कायर नहीं।
इस पोस्ट को पढ़ कर कुछ लोग तो कहेंगे की यह तो सबको पता है,
कुछ कहेंगे यह बाते बोलनी आसान है करनी नहीं,
कुछ कहेंगे यह बाते अच्छी है,
और कुछ इसके बारे मे सोचेंगे अपने जीवन मे उतारेंगे।
जो एसा कहते है की यह तो सबको पता है,
तो जब सबको पता है फिर यह क्यों हो रहा है क्यों अन्धकार मे जा रहे है।
जो एसा कहते है की यह बाते बोलनी आसान है करनी नहीं,
यह लोग डर और निर्बलता से बहार नहीं निकल पाए है और ना ही निकलना चाहते है।
जब कुछ लोग इन सबको कर सकते है,
तो तुम ऐसे कैसे कह सकते हो की यह बाते बोलनी आसान है करनी नहीं।
आज सबके पास सब कुछ है फिर भी इंसान खुश नहीं
क्यों ?
क्युकी उसने सब कुछ तो पा लिया पर जिंदगी के बारे मे कुछ सिखा नहीं।
जिंदगी से प्यार करो अपनी इच्छाओं से नहीं
जिंदगी को समझो जिंदगी को जानो यह बहुत सुन्दर है।

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