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वर्तमान में ‘करियर’ का चुनाव सोच समझ कर नहीं किया जा रहा है। सब भीड़ मे चल रहे है, यहाँ तक की कुछ छात्र- छात्राएं यह तक नहीं जानते की हम यह कोर्स कर क्यों रहे है, हम यहाँ पर किसलिए है। छात्र- छात्राएं ऐसे विषयों का चुनाव कर रहे है, जिसमे उनकी कोई रूचि हे ही नहीं।
आखिर क्यों ?
सिर्फ अपने मित्रो को देख कर की वह यह कोर्स कर रहा है तो मे भी यही करू।
समाचार पत्रो मे बड़े-बड़े विज्ञापनों से इम्प्रेस होने के बाद तुरंत फैसला कर लिया जाता है की उस शहर के उस इंस्टिट्यूट से वह कोर्स करना है।
आज कल के बच्चे चॉइस से नहीं चांस के आधार पर कैरियर का चुनाव कर रहे है, तभी तो आमतौर पर अधिकांश छात्र-छात्राएं स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद चाहे-अनचाहे कॉलेज मे ही दाखिला ले लेते है।
सबसे बड़ा दुर्भाग्य तो यह की छात्र-छात्राये अपने आपको पहचान ही नहीं पा रहे है। अपने अंदर की कला किस छेत्र मे वह अपना बेस्ट दे सकते है पर नहीं जहा भीड़ चल रही है बस उसी के साथ चलना है, अपने अंदर की योग्यता को देखना ही नहीं।
आज जब कैरियर की दुनिया में एक नहीं, अनेकानेक सम्भावनाएं है, तब भी अधिकांश छात्रों के माता- पिता बिना सोचे समझे अपने बच्चों को जबरदस्ती दुसरो को देख फलां कोर्स कराते है चाहे उसमे बच्चे की दिलचस्बी हो ही ना।
अपने बच्चो के भोजन, कपड़े, घूमने-फिरने के शौक पर वे किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाते।
जो कैरियर का सही चुनाव नहीं कर पाते भारतीय शिक्षा को कोसने का काम उन्ही का रह जाता है।
महत्वपूर्ण सुझाव यह है की कैरियर के चुनाव का सही वक़्त दसवीं कक्षा होती है, क्योंकि यह ऐसा समय होता है जब छात्रों में सर्वाधिक अनिर्णय की स्थिति होती है।
साथ-साथ ही उन्हें सही सुझाव और दिशा-निर्देश की भी आवश्यकता होती है।
इस उम्र में छात्रों को निर्णय कर लेना चाहिए की वह किस छेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहते है और माता-पिता को उनके निर्णय में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
विषयो के चुनाव का सबसे सही वक़्त यही होता है, पर्याप्त सोच विचार कर अपनी रूचि का चयन उसमे कैरियर की संभावनाओं के मद्देनजर ही करना चाहिए।
ऐसा बिलकुल ना हो की आर्ट्स पड़ने की इच्छा है और साइंस में दाखिला लेने की मज़बूरी, कॉमर्स मे दिलचस्बी हो तथा इंजीनियरिंग कोर्स को अपनाने का दबाव इस तरह के आधे-अधूरे मन से किये गए चूनाव कभी सही नहीं होते, इच्छित नतीजे न मिलने से जीवन भर के लिए वह कोर्स अभिशाप बन जाता है।
छात्र-छात्राओं को अपने अंदर की खूबी जानी चाहिए और अपने आपको पहचाना चाहिए की वह किस छेत्र मे बहेतर है।
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